सितंबर तक टल सकते हैं राज्‍यसभा के उपचुनाव

कोरोना महामारी के चलते पहले राज्यसभा चुनाव स्थिगित करना पड़ा और अब इसी तरह के हालात मप्र में जल्द संभावित विधानसभा के उपचुनावों को लेकर भी बनते जा रहे हैं. प्रदेश में 24 विधानसभा सीटों पर उपचनाव होने हैं. लाकडाउन की वजह से यह आसाप पूरी तरह से बनते दिख रहे हैं. चुनाव आयोग इन सीटों पर मई माह में उप चुनाव कराने की तैयारी कर रहा था, इस बीच देश में लॉकडाउन (Lockdown) लागू होने से प्रशासनिक कामकाज सहित सभी तरह की अन्य गतिविधियां बंद करनी पड़ गई. यदि लॉकडाउन (Lockdown) 14 अप्रैल के बाद कुछ दिन और बढ़ाया जाता है तो उप चुनाव निर्धारित समयावधि के बाद कराए जाने के हालात बनना तय है. इसकी वजह है उप चुनाव की तैयारी और चुनाव कार्यक्रम घोषित में आयोग को अतिरिक्त समय लगना तय है.


 



बीते साल 21 दिसंबर को मुरैना जिले की जौरा विधानसभा सीट के कांग्रेस विधायक बनवारी लाल शर्मा का निधन हो गया था. इसके बाद 30 जनवरी को भाजपा विधायक मनोहर ऊंटवाल का निधन होने से आगर सीट रिक्त हो गई थी. इसके बाद मार्च में कांग्रेस के 22 विधायकों द्वारा इस्तीफा देने की वजह से प्रदेश में कुल 24 सीटें रिक्त हो चुकी हैं. विधि विशेषज्ञों की माने तो संविधान के अनुसार किसी भी लोकसभा (Lok Sabha) या विधानसभा की रिक्त सीट पर छह माह के अंदर उपचुनाव कराना अनिवार्य है. इस हिसाब से जोरा सीट पर 21 जून से पहले उप चुनाव कराया जाना है. यही वजह है कि आयोग ने जोरा के साथ ही अन्य 23 सीटों पर मई में चुनाव कराने की तैयारी शुरु कर दी थी, लेकिन लॉकडाउन (Lockdown) के चलते इसे रोकना पड़ गया है. अब माना जा रहा है कि लाकडाउन समाप्त होते ही पहले राज्यसभा के चुनाव कराए जाएंगे. इसके बाद ही उपचुनाव की तमाम तैयारियां करने के बाद कार्यक्रम घोषित किया जाएगा, जिसमें समय लगना तय है.



पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त, भारत निर्वाचन आयोग ओपी रावत का कहना है कि संविधान में इस बात का उल्लेख है कि कोई भी लोकसभा (Lok Sabha) या विधानसभा सीट छह महीने से ज्यादा समय तक खाली नहीं रह सकती, लेकिन अगर कहीं कफर््र्यू या अन्य किसी कारण से चुनाव कराना सभ्ंाव नहीं हो, तो चुनाव आयोग रिटर्निंग ऑफिसर से धारा 153, लोक प्रतिनिधित्व कानून, 1951 के तहत विस्तृत रिपोर्ट मंगाकर यह रिपोर्ट केंद्र सरकार (Government) को भेजता है जिसके आधार पर नोटिफाई कर दिया जाता है कि चुनाव छह महीने में कराया जाना सभ्ंाव नहीं है. उन्होंने कहा, छह महीने के बाद कितनी अवधि में चुनाव कराए जाना है, इसका उल्लेख संविधान में नहीं है, लेकिन यह तय है कि जैसे ही हालात सामान्य हों, तो जितना जल्दी सभव हो, चुनाव कराए जाएं.