सभी देश एक वायरस से डर गए है और हार मान गए

सभी देश एक वायरस से डर गए है और हार मान गए क्या भारत भी रिसर्च करके बीमारी पर शोध नही कर सकते है हमारे ऋषियों ने कितना वरदान दिया है ओषधि से दूर करने का भारत ने उन पर विश्वास करना छोड़ दिया जिस संजीवनी से जीवन दान मिला कितनी बीमारियो का समाधान मिला आज उसकी जरूरत सरकार नही है हम उन देशों जैसा विचार कर रहे है जो हार  मान लेते है हमे भारत की प्रकति से दी गई ओषधि पर भरोसा नही है। समस्या का समाधान बिना किसी मेडिसन से निकल सकता है क्या बीमारी ऐसे ही ठीक हो सकती है एक बीमारी ने पूरे विश्व को डराया है कल कोई नई बीमारी आएगी क्या  मनुष्य की जान की कोई कीमत नही है भारत मे कोई डॉक्टर रिसर्च नही करके हार मान जाएगे की इसका कोई इलाज नही जनता की जान की कोई परवाह नही और दूसरे देशों में इसका इलाज नही है भारत के ऋषियों ने संजीवनी दी है कितनी ऐसी ओषधि दी है जिसका हर बीमारी पट रिसर्च की जा सकती है यदि किसी भी मेडिसन के डॉक्टर को अपनी योग्यता पर भरोसा नही होता तब वह बीमारी से हार मान लेता है लेकिन कोई ज्ञानी  योग्य डॉक्टर होता है वह हार नही मानता वह शोध और रिसर्च करता है अपनी भारत में बनी हुई वनस्पति से ही ओषधि तैयार करता है कोई बीमारी गम्भीर नही होती है जो इलाज नही जानता उसके लिए गंभीर होती है लेकिन जिसे ज्ञान योग्यता पर विश्वास होता है वह हर गंभीर बीमारी को सरलता से ठीक कर सकता है भारत ऐसा नही की ओर देशो जैसा हार मान जाए क्या योग्यता नही है क्या भारत मे बहुत अनुभवी डॉक्टर है लेकिन मेहनत कोशिश सबको करनी पड़ती है डरता वह है जो आत्मविशवास खोते है जो डरते नही वह हर बीमारी को पराजित करते है।