मंत्रिमंडल विस्तार की खबरों के बीच नरोत्तम मिश्रा से मिलने पहुंची रामबाई

भोपाल : कोरोना महामारी के बीच एमपी( के सियासी गलियारों में एक बार फिर शिवराज मंत्रिमंडल की चर्चाएं जोरों पर है। माना जा रहा है कि 6 को बड़े स्तर पर मुख्यमंत्री शिवराज मंत्रिमंडल का विस्तार कर सकते है। मंत्री बनने की दौड़ में कई भाजपा नेताओं और सिंधिया समर्थकों के नाम है। फिलहाल शिवराज की मिनी कैबिनेट में पांच मंत्री है। इसी बीच अपने बयानों से हमेशा सुर्खियों में रहने वाली बसपा विधायक रामबाई(BSP MLA RAMBAI) स्वास्थ्य एवं गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा से मिलने उनके निवास पहुंची है।कैबिनेट विस्तार से पहले रामबाई के यूं मंत्री से मुलाकात के कई मयाने निकाले जा रहे है, हालांकि रामबाई ने सब बातों को नकार दिया है।


इस दौरान उन्होंने मीडिया से बात करते हुए मंत्रिमंडल में शामिल होने को लेकर कहा कि बीजेपी की जो नीति है उन्हें जो सही लगेगा वो करेंगे।मुझे अपने क्षेत्र का विकास करना है क्षेत्र की जनता का विकास महत्वपूर्ण है। पहले इस पर प्राथमिकता है।आगे बीजेपी की सोच है उन्हें क्या करना है क्या नहीं उसमे हम कुछ नहीं बोल सकते है। लेकिन मंत्रिमंडल मंडल की चर्चाओं के बीच विधायक का यूं मंत्री के बंगले पर जाना चर्चा का विषय बन गया है।हालांकि चर्चा तो इस बात की भी है कि मंत्रिमंडल में किसी भी निर्दलीय को शामिल नही किया जाएगा। माना जा रहा है कि इन्ही खबरों के चर्चाओं में आने के बाद रामबाई मंत्री से मिलने पहुंची है। इधर शिवराज सरकार के पहले कमलनाथ सरकार को समर्थन दे रहे सपा-बसपा के तीन और चार निर्दलीय विधायकों के शिवराज मंत्रिमंडल होने को लेकर राजनीतिक हलकों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।


दरअसल जब विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद कांग्रेस 114 और भाजपा 109 सदस्यों के आंकड़े पर आकर टिकी थी और बहुमत के लिये 230 सदस्यीय विधानसभा मे 116 सदस्यो की जरूरत थी, तब सबकी निगाहें सपा विधायक राजेश शुक्ला, बसपा विधायक संजीव सिंह कुशवाह और रामबाई तथा चार निर्दलीय विधायकों बुरहानपुर सीट से ठाकुर सुरेंद्र नवल सिंह, सुसनेर से विक्रम सिंह राणा, खरगौन से केदार डावर और वारासिवनी से प्रदीप जायसवाल पर टिकी थी जिन्होंने कांग्रेस को समर्थन देकर कमलनाथ सरकार बनवा दी थी। इन सब को तभी आश्वासन दिया गया था कि उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा लेकिन उम्मीद टूटती गई और प्रदीप जायसवाल के अलावा इनमें से कोई भी मंत्री नहीं बन पाया और यही कारण था कि जैसे ही ऑपरेशन लोटस संपन्न हुआ और कमलनाथ की सरकार गिरी वैसे ही इन सभी ने पाला बदल लिया और भाजपा को समर्थन दे दिया।इस बार भी सबकी उम्मीद वही कि मंत्रिमंडल में जगह मिल जाए लेकिन सबसे बड़ी दुविधा शिवराज के सामने यह है कि मंत्रिमंडल में अधिकतम 35 सदस्य हो सकते हैं जिनमें से पहले दस के लिए वे 22 बागी विधायकों से दस को, जिनमे कई सिंधिया समर्थक शामिल है ,हामी भर चुके हैं। बचे 25 स्थानों के लिए बीजेपी के करीब 45 सीनियर विधायक टकटकी लगाए बैठे हैं। अब ऐसे में यदि सपा बसपा या निर्दलीय किसी भी विधायक को मंत्री बनाया जाता है तो फिर सातों को मंत्री बनाना पड़ेगा।ऐसे में बीजेपी कोई रिस्क नही लेना चाहेगी वही बीजेपी को पूरा विश्वास है कि 22 सीटों पर फिर से वह कब्जा जमाएगी।