नई दिल्ली : दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका की इकोनॉमी कोरोना वायरस के सामने रेंगती हुई नजर आ रही है. इस वायरस की वजह से अमेरिका में 50 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है तो वहीं देश में बेरोजगारी भी 90 साल के उच्च्तम स्तर पर है.
ताजा आंकड़े बताते हैं कि साल 2020 की पहली तिमाही यानी जनवरी से मार्च के बीच अमेरिकी जीडीपी ग्रोथ रेट लुढ़क कर - 4.8 फीसदी पर आ गई है. इससे पहले, 2019 की आखिरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 2.1 फीसदी रही थी. साल 2014 के बाद पहली बार अमेरिकी विकास दर नकारात्मक हुई है, तब ग्रोथ रेट -1.1 फीसदी रही थी.
इससे पहले, साल 2008-09 की वैश्विक मंदी में लगातार चार तिमाही तक विकास दर माइनस में रही थी. आपको बता दें कि अमेरिका में कैलेंडर ईयर और फाइनेंशिल ईयर एक ही होता है. वहीं भारत में फाइनेंशियल ईयर अप्रैल से शुरू होता है और अगले साल 31 मार्च तक चलता है.
अमेरिका की इकोनॉमी के लिए ये बुरी खबर है. ये आंकड़े मंदी की ओर इशारा कर रहे हैं. अगर आने वाले महीनों में स्थिति में सुधार नहीं होता है तो ये वैश्विक स्तर पर चिंता की बात होगी. दरअसल, अमेरिका से भारत समेत कई देशों की इकोनॉमी जुड़ी हुई है. इन देशों के प्रोफेशनल्स की जॉब्स पर खतरा मंडरा सकता है, जो ठीक नहीं है. आपको बता दें कि भारत की आईटी कंपनियों की आमदनी का करीब 80 फीसदी हिस्सा अमेरिका और यूरोप से आता है.
इससे पहले, आधिकारिक आंकड़ों में बताया गया था कि अमेरिका में बेरोजगारी 90 साल के उच्च्तम स्तर पर है. बेरोजगारी की दर 1930 की महामंदी के बाद सबसे अधिक हो गई है. आंकड़े बताते हैं कि कोरोना वायरस महामारी के चलते प्रत्येक छह में एक अमेरिकी श्रमिक को नौकरी से निकाल दिया गया है. सिर्फ एक सप्ताह में 44 लाख से अधिक लोगों ने बेरोजगारी लाभ के लिए आवेदन किया. इसके साथ ही पांच सप्ताह में करीब 2.6 करोड़ लोग बेरोजगारी लाभ के लिए आवेदन कर चुके हैं.