"सरकार" पर संकट, सिंधिया मौन क्यों ?

 कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल छाए तो पूरे वक्त कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने तीन दिन तक दूरी बनाए रखी. मीडिया से तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं हैं. उनके समर्थकों ने भी तीन दिन चले इस एपीसोड के दौरान मौन साधे रखा.सिंधिया के मौन पर भी तमाम सवाल उठ रहे हैं.ऐसा इसलिए भी हो रहा है क्योंकि सिंधिया का मौन बुधवार शाम को तब टूटा, जब संकट कमजोर पड़ने लगा था.उन्होंने कहा कि कमलनाथ सरकार को कोई खतरा नहीं है.



गुना से संसदीय चुनाव हारने वाले कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और वरिष्ठ पार्टी नेता दिग्विजय सिंह को राज्यसभा भेजने के मुद्दे पर पार्टी में जारी गुटबाजी की वजह से ही विधायकों की उछल कूद देखने को मिल रही है।कांग्रेस प्रवक्ता शक्ति सिंह गोहिल ने यह आरोप भी लगाया कि यह सब भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के इशारे पर हो रहा है।



उन्होंने संसद परिसर में बुधवार को संवाददाताओं से बातचीत में आरोप लगाया-काले धन का इस्तेमाल करके चुनी हुई सरकार को गिराने का प्रयास हो रहा है। पहले कर्नाटक में यही किया गया और कई दूसरे राज्यों में भी यही किया गया। गोहिल ने आरोप लगाया-यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी के इशारे पर हो रहा है। जनमत के खिलाफ जाने और दूसरी पार्टियों को तोड़ने की साजिश हो रही है। उन्होंने कहा कि यह साजिश सफल नहीं होगी। उन्होंने यह भी कहा कि मैं उम्मीद करता हूं कि ऐसी हरकत करने वालों को उच्चतम न्यायालय फटकार लगाएगा।



मालूम है कि मध्यप्रदेश से इस बार राज्यसभा की तीन सीटें खाली हो रही हैं। इनमें प्रभात झा व सत्यनारायण जटिया भाजपा से हैं जबकि दिग्विजय सिंह कांग्रेस से हैं। सूत्रों की मानें तो प्रदेश में संख्या बल के हिसाब से इस बार कांग्रेस का पलड़ा भारी है और वह सूबे से दो नेताओं को राज्यसभा भेजना चाहती है। इनमें से एक तो लोकसभा चुनावों में भोपाल सीट से भाजपा उम्मीदवार प्रज्ञा ठाकुर से चुनाव हारे दिग्विजय सिंह ही हैं जबकि पार्टी हाईकमान दूसरी सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को राज्यसभा भेजने का मन बनाया है।