मत्स्य जयंती आज, पृथ्वी की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने लिया था मत्स्य अवतार

हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मत्स्य जयन्ती मनाई जाती है, जो इस बार 27 मार्च को यानी आज है। इस तिथि पर विष्णुजी की पूजा मत्स्य अवतार में की जाती है। मत्स्य पुराण के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु ने पुष्पभद्रा नदी के तट पर मत्स्य अवतार लिया था और विश्व कल्याण किया था। इस पुण्य पर्व पर सुबह मत्स्य रूप में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और व्रत का संकल्प लिया जाता है। इसके बाद उनके मत्स्य अवतार की कथा सुनी जाती है। मत्स्य पुराण के अनुसार मत्स्य अवतार की पूजा करने से परेशानियां दूर हो जाती है और पाप भी नष्ट हो जाते हैं।


पूजा विधि



  1. सुबह जल्दी उठें।

  2. घर में सफाई कर के गंगाजल छिड़काव करें।

  3. इसके बाद भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित कर के उनके सामने व्रत और पूजा का संकल्प लें।

  4. फिर वेदोक्त मंत्रों से मत्स्य रूप में भगवान विष्णुजी का पूजन करें।

  5. पूजा करने के बाद ब्राह्मण भोजन करवाएं और श्रद्धा अनुसार दान करें।


मत्स्य अवतार की पौराणिक कथा
कल्पांत के पूर्व एक बार ब्रह्मा जी के पास से वेदों को एक बहुत बड़े दैत्य ने छल से चुरा लिया। तब चारों ओर अज्ञानता का अंधकार फैल गया और पाप तथा अधर्म का बोलबाला होता चला गया। तब भगवान विष्णु ने धर्म की रक्षा के लिए मत्स्य का रूप धारण कर उस दैत्य का वध किया और वेदों की रक्षा की।