चैत्र अमावस्या का है धार्मिक महत्व, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार अमावस्या तिथि पित्तरों के दर्पण के लिए समर्पित है। इसलिए इस दिन पित्तरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास रखा जाता है। खासकर जो लोग पितृ दोष से पीड़ित हैं उनके लिए अमावस्या व्रत इस दोष के निवारण के लिए महत्वपूर्ण है। वहीं अन्य माह की अमावस्या के समान चैत्र अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करना श्रेष्ठ माना गया है। ऐसा करने से पितरों को मुक्ति मिलती है।


24 मार्च को चैत्र अमावस्या है। हिन्दू धर्म में यह तिथि बेहद महत्वपूर्ण होती है। चैत्र अमावस्या वह तिथि है जो चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि होती है। यह हिन्दू वर्ष की अंतिम तिथि भी कहलाती है। इस तिथि के बाद हिन्दू नववर्ष शुरु हो जाता है।  


 अमावस्या तिथि के दिन सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होते हैं। जहां सूर्य आग्नेय तत्व को दर्शाता है तो वहीं चंद्रमा शीतलता का प्रतीक है। सूर्य के प्रभाव में आकर चंद्रमा का प्रभाव शून्य हो जाता है। इसलिए मन को एकाग्रचित करने का यह कारगर दिन होता है। इसलिए अमावस्या का दिन आध्यात्मिक चिंतन के लिए श्रेष्ठ होता है। अमावस्या को जन्म लेने वाले की कुंडली में चंद्र दोष होता है।


चैत्र अमावस्या का शुभ मुहूर्त
सवार्थ सिद्धी योगी- सुबह 6 बजकर 20 मिनट से अगले दिन 4 बजकर 19 मिनट तक। अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 3 मिनट से दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक।


चैत्र अमावस्या की पूजा विधि


    चैत्र अमावस्या के दिन प्रातः जल्दी उठें।
    इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में किसी पवित्र नदी, जलाशय या कुंड आदि में स्नान करें।
    सूर्योदय के समय भगवान सूर्यदेव को जल का अर्घ्य दें।
    इस दिन कर्मकांड के साथ अपने पितरों का तर्पण करें।
    पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रत रखें।
    आज के दिन जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा दें।
    ब्राह्मणों को भोजन कराएं