भोपाल। पुलिसकर्मियों को कोरोना वायरस की चपेट में आने से बचाने के लिए डीजीपी विवेक जोहरी ने दिन-रात ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मियों को 14 दिन तक अपने-अलने घर से दूरी बनाए रखने की सलाह दी है। डीजीपी ने कहा है कि जिन पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों की ड्यूटी कोरोना प्रभावित क्षेत्र में लगी है वे अधिकारी व कर्मचारी 14 दिनों तक अपने घर जाने से बचें। उन्होंने सभी पुलिस अधीक्षक से कहा कि उनकी रहने की, पीने और स्वास्थ्य संबंधित व्यवस्था बेहतर की जाए। डीजीपी ने पुलिसकर्मियों से कहा है कि ये आदेश नहीं है बल्कि आपकी और आपके परिवार की सुरक्षा की दृष्टि से एक सलाह है। डीजीपी विवेक जौहरी ने कोरोना वायरस के संबंध में प्रदेश के सभी पुलिस अधीक्षकों को दिशा-निर्देश जारी कर लागू करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा है कि वे खुद सुरक्षित रहें और दूसरों को भी कोरोना से बचाएं। डीजीपी ने प्रदेश के पुलिस अधीक्षक को लिखे पत्र में कहा है कि 55 साल से अधिक उम्र के पुलिसकर्मियों की ड्यूटी ऐसी जगहों पर लगाने कहा है जहां वे सीधे आम लोगों के संपर्क में नहीं आए। डीजीपी ने निर्देश दिए हैं कि संक्रमित क्षेत्रों मे ड्यूटी ड्यूटी कर रहे पुलिसकर्मियों को यूनीफार्म बदलने के लिए एक निश्चित स्थान तय किया जाए और उसे धुलवाने की व्यवस्था भी तुरंत कराई जाए। डीजीपी द्वारा दिए गए निर्देश में ये भी ताकीद किया गया है कि ड्यूटी पर तैनात पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारी यदि अपने घर जाना ही चाहते हैं तो वे अपने घर में घुसने से पहले वर्दी को पूर्व से ही बाल्टी में रखे गए घोल में डाल दे और अच्छी तरह साबुन से नहाकर दूसरे कपड़े पहनकर घर में घुसे। घर में भी वे परिवार के सदस्यों तक पर्याप्त दूरी बनाकर रखें। डीजीपी ने पुलिसकर्मियों से ये भी अपेक्षा की है कि वे ड्यूटी के दौरान आम लोगो से अच्छा व्यवहार रखेंगे।

जीवन मंत्र डेस्क. कुछ लोगों को कड़ी मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिल पाती है, ऐसी स्थिति में निराश होने से बचना चाहिए। इस संबंध में एक लोक कथा प्रचलित है। कथा के अनुसार एक व्यक्ति बहुत मेहनत करता था, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल पा रही थी। असफलता और धन की कमी की वजह से उसकी परेशानियां बढ़ती जा रही थीं। ऐसे में वह दुखी हो गया। एक दिन वह अपने गुरु के पास पहुंचा।


दुखी व्यक्ति ने संत को अपनी सारी परेशानियां बता दीं। संत ने उसकी सारी बातें ध्यान से सुनी। गुरु समझ गए कि उनका शिष्य बहुत ज्यादा निराश है। उन्होंने शिष्य को एक कथा सुनाई। गुरु ने कहा कि किसी गांव में एक लड़के ने बांस और कैक्टस का पौधा लगाया। बच्चा रोज दोनों पौधों को बराबर पानी देता था। सारी जरूरी देखभाल करता था। इसी तरह काफी समय व्यतीत हो गया। कैक्टस का पौधा तो पनप गया, लेकिन बांस का पौधे में कुछ भी प्रगति नहीं दिख रही थी।


लड़का इससे निराश हुआ, लेकिन उसने दोनों पौधों की देखभाल करना जारी रखा। कैक्टस का पौधा तेजी से बढ़ रहा था, लेकिन बांस का पौधा वैसा का वैसा ही था। लड़का ने कुछ दिन और दोनों की देखभाल की। अब बांस के पौधे में थोड़ी सी उन्नति दिखाई दी। लड़का खुश हो गया। इसी तरह कुछ और दिन निकल गए। अब बांस का पौधा बहुत तेजी से बढ़ रहा था। कैक्टस का पौधा छोटा रह गया।


संत ने शिष्य से कहा कि इस कथा की सीख यह है कि बांस का पौधा पहले अपनी जड़े मजबूत कर रहा था। इसीलिए उसकी शुरुआत बहुत धीरे-धीरे हुई, लड़का इससे निराश नहीं हुआ और उसने देखभाल जारी रखी।  जब उसकी जड़े मजबूत हो गईं तो वह तेजी से बढ़ने लगा। ठीक इसी तरह हमारे साथ भी होता है। कभी-कभी हमें भी कड़ी मेहनत करनी पड़ती है, लेकिन फल देरी से मिलता है। ऐसी स्थिति में मेहनत करते रहना चाहिए। निराश होने से बचें।