भोपाल: 15 सालों बाद सत्ता में लौटी कांग्रेस के 15 महिने बाद गिरने और कमलनाथ के इस्तीफे के सियासी गलियारों में हलचल तेज है।कांग्रेस अब भी उपचुनाव के माध्यम से कमबैक का दावा कर रही है। इसी बीच मध्य प्रदेश के कार्यवाहक मुख्यमंत्री कमलनाथ आज शनिवार सुबह दिल्ली के लिए रवाना हुए है। माना जा रहा है कि यहां वे कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से एमपी सियासत को लेकर चर्चा कर सकते है। अटकलें हैं कि दिल्ली में मध्यप्रदेश में वापस सरकार बनाने की विषय पर चर्चा हो सकती है।इस बात को बल इसलिए मिला है क्योंकि एमपी कांग्रेस के ट्वीटर हैंडलर और पीसीसी के सामने लगाए गए पोस्टर्स में कम बैक का दावा किया गया है।वही पीसी शर्मा ने भी खुले तौर पर वापसी की बात कही है। दरअसल इस्तीफा देने के बाद मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ शनिवार सुबह 11:30 बजे दिल्ली रवाना हो गए। कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने के साथ प्रदेश के सारे घटनाक्रम पर चर्चा की जाएगी। उम्मीद है कमलनाथ कम बैक प्लान पर भी चर्चा करेंगे। प्रदेश के राजनीतिक परिवेश पर चर्चा के साथ-साथ कमलनाथ कांग्रेस अध्यक्ष से पार्टी में वरिष्ठ नेताओं की भूमिका पर भी चर्चा कर सकते हैं।वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद प्रदेश में उनके समर्थक और कार्यकर्ताओं के असर पर भी कमलनाथ सोनिया गांधी से सलाह मशवरा कर सकते हैं। माना जा रहा है कि प्रदेश के कांग्रेस संगठन में कहां भूल हुई, इस पर भी बात हो सकती है। वही कमलनाथ सोनिया गांधी से पार्टी में रहकर पार्टी के खिलाफ सुर अलापने वाले नेताओं पर भी बात कर सकते हैं। बता दे कि कांग्रेस के पास अभी भी सत्ता में वापस लौटने के मौके हैं। प्रदेश के विधानसभा में जहां कांग्रेस के पास 114 विधायकों के बल से वहीं 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद उनकी संख्या 92 पर पहुंच गई। ऐसे में प्रदेश की 24 सीटों पर चुनाव होने तय है। जिन सीटों पर उपचुनाव होने हैं उस पर कांग्रेस नहीं है अपने पांव जमाए। अब ऐसे में इन सीटों पर चुनाव होने की स्थिति में कांग्रेस की जीत की संभावना बढ़ जाती है। इसके साथ ही वह सत्ता में वापसी कर सकती है। गौरतलब हो कि इससे पहले कांग्रेस ने कमलनाथ के इस्तीफे के बाद शुक्रवार को एक ट्वीट किया था। एमपी कांग्रेस के इस ट्वीट में उन्होंने यह संकेत किया था कि कमलनाथ सरकार वापस से सत्ता में लौट सकती है। ट्वीट में एमपी कांग्रेस ने लिखा था कि 15 अगस्त 2020 को कमलनाथ मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में ध्वजारोहण करके परेड की सलामी लेंगे।माना जा रहा है कि उपचुनाव के जरिए कांग्रेस को जीत की उम्मीद है किंतु सत्ता में वापसी की राह इतनी आसान भी नहीं होगी। बताते चले कि जिन 24 सीटों पर उपचुनाव है वह मध्य प्रदेश के चंबल क्षेत्र में आते हैं जिस पर ज्योतिरादित्य सिंधिया के अलावा भाजपा के कई कद्दावर नेता का प्रभुत्व भी रहा है। ऐसे में कांग्रेस को इन क्षेत्रों से चुनौतियां मिल सकती है। अब देखना दिलचस्प है कि 15 साल के बाद आई कांग्रेस की सरकार क्या वाकई 15 महीने तक की ही सरकार रहती है या कमलनाथ वापस से मध्य प्रदेश की सत्ता की बागडोर अपने हाथ में लेने में सफल होते हैं।

इंदौर : भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय का सालों पहले लिया एक संकल्प पूरा हो गया है. जिसके लिए उन्होंने 20 साल बाद अन्न ग्रहण किया. दरअसल, 20 साल पहले कैलाश विजयवर्गीय इंदौर के मेयर निर्वाचित हुए थे. इस दौरान उन्हें एक महात्मा ने बताया कि शहर में पितृ दोष है, जिससे शहर का विकास रुका हुआ है. इसके निवारण के लिए हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करनी होगी. ऐसे में उन्होंने पितृ पर्वत पर बजरंगबली की प्रतिमा की स्थापना के बाद अन्न ग्रहण करने का संकल्प लिया.


महात्मा के कहने पर कैलाश विजयवर्गीय ने बजरंगबली की प्रतिमा स्थापित करने के लिए प्रक्रिया शुरू की. शुरुआत शहर की पुरानी देवधर्म टेकरी पर पूर्वजों की याद में पौधे लगाने से हुई. पिछले बीस साल में यहां करीब एक लाख पौधे लगाए गए. इसके बाद भगवान हनुमान की अष्टधातु की प्रतिमा बनवाने का काम शुरू किया गया.


ग्वालियर के 125 कारीगरों ने 7 साल में प्रतिमा तैयार की. जिसे इसी महीने स्थापित किया गया है. इसका प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव 24 फरवरी से चल रहा है, जो आज यानी कि 3 मार्च को खत्‍म होगा. बता दें कि हनुमान जी कि प्रतिमा 72 फीट ऊंची और 108 टन वजनी है. प्रतिमा पर करीब 15 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं.


प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव
इस प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी महाराज, संत मुरारी बापू और वृंदावन से महामंडलेश्वर गुरुशरणानंदजी महाराज पहुंचे. उन्हीं के हाथों कैलाश विजयवर्गीय ने अन्न ग्रहण किया.


दो दशकों से नहीं खाया अन्न
कैलाश विजयवर्गीय दो दशकों से अन्न नहीं खा रहे थे. उन्होंने गेहूं, चावल, मक्का, बाजरा, ज्वार समेत सभी दालों का त्याग कर दिया था. वो सिर्फ मोरधन, राजगिरा, साबूदाना, फल और सब्जियां ही खा रहे थे.