उद्योग '4.0' के लिए हमें जीवन में सतत सीखने का सूत्र अपनाना चाहिए: डॉ. मजूमदार

पीएसएससीआईवीई में राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ, विशेषज्ञों ने तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा पर साझा किए विचार


संगोष्ठी का विषय अत्यन्त ज्वलंत है। सबकुछ बहुत तेजी से बदल रहा है। इस समय दुनिया डिजिटलाइजेशन की ओर तेजी से बढ़ रही है। आज हर स्तर पर तकनीकी का प्रयोग हो रहा है, मानो तकनीकी मानवता को प्रतिस्थापित कर रही है। आज के इस परिवर्तन के चलते स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय सभी तकनीकी पर फोकस कर रहे हैं। उद्योग '4.0' के लिए हमें करके सीखने के सूत्र को अपनाने की जरूरत है। यह बात यूनेस्को-यूनिवॉक, जर्मनी के पूर्व प्रमुख डॉ. श्यामल मजूमदार ने पीएसएस केन्द्रीय व्यवसायिक शिक्षा संस्थान में मंगलवार को आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के शुभारंभ अवसर पर कही। इस अवसर पर उन्होंने प्रजेटेंशन के माध्यम से वर्तमान में व्यावसायिक शिक्षा के महत्व और बाजार के अनुसार कार्यबल की मांग के बारे में भी जानकारी दी। संगोष्‍ठी में विशेषज्ञों ने ‘‘री-इमेजनिंग टेक्निकल वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग फॉर द चेंजिंग वर्ल्‍ड: पर्सपेक्टिव्स एंड प्रैक्टिसेस’’ विषय पर अपने विचार व्‍यक्‍त किए।


इस अवसर पर संस्थान के संयुक्त निदेशक प्रो. राजेश पुं. खंबायत ने कार्यक्रम की रूपरेखा अतिथियों और प्रतिभागियों के समक्ष रखते हुए बताया कि देशभर में आज लगभग 1000 स्कूलों ने व्यावसायिक शिक्षा प्रदान की जा रही है, जिससे अनेकों छात्र लाभान्वित हो रहे हैं। इसमें मानव संसाधन विकास मंत्रालय, एनसीईआरटी एवं पीएसएससीआईवीई का महत्वपूर्ण योगदान है। अब हमें भविष्य में होने वाले तकनीकी परिवर्तन के तहत उद्योग ‘4.0’ स्तर पर तैयारी करने की जरूरत है। इस संगोष्ठी से हमें व्यावसायिक शिक्षा को तकनीकी स्तर पर पहुंचाने में मदद मिलेगी। इस दौरान प्रो. खंबायत ने पीएसएससीआईवीई द्वारा पाठ्यक्रम के स्तर पर 21वीं सदी के परिवर्तन के अनुसार आने वाली चुनौतियों एवं अवसरों पर प्रकाश डाला।


कार्यक्रम का शुभारंभ पीएसएससीआईवीई के संयुक्त निदेशक प्रो. खंबायत, डॉ. श्यामल मजूमदार, कोलम्बो प्लान स्टाफ कॉलेज (सीपीएससी) मनीला (फिलिपिंस) के प्रबंध निदेशक डॉ. रामहरि लमिचाने, क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान के प्राचार्य प्रो. एन. प्रधान, एनटीटीटीआर के निदेशक डॉ. सी. थंगराज और एनएसडीसी के मुख्य रणनीति अधिकारी, अरुण कुमार पिल्लई ने संयुक्त रूप से सरस्वती प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।


टीवीईटी से पूरी होगी भविष्य की संभावनाएं: डॉ. लमिछाने


डॉ. लमिछाने ने कहा कि टीवीईटी शिक्षा व्यवस्था में वृद्धि के लिए विश्व स्तर पर प्रयासरत है। शिक्षा में गुणवत्ता पर फोकस होना चाहिए। इसकी कमी हमारे देश की व्यवस्था को पीछे कर सकती है। हमें एक बैंचमार्क बनाने की जरूरत है। शिक्षकों के कौशल विकास को बढ़ाना है। टीवीईटी की सहभागिता से भारत में तकनीकी एवं शैक्षिक गतिविधियों को गति मिलेगी। आगे उन्होंने कहा कि हमें व्यावसायिक शिक्षा में गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रीत करने की जरूरत है। टीवीईटी हमारे भविष्य की संभावनाओं को पूरा करने में सहायक है।


कौशल के क्षेत्र में देना होगा विशेष ध्यानः डॉ. थंगराज


संगोष्ठी में डॉ. सी. थंगराज ने अपने विचार रखते हुए कहा कि पिछले दस वर्षों से भारत ने व्यावसायिक शिक्षा की ओर रुख किया है। आज जरूरत है हमारी बढ़ती जनसंख्या के अनुसार अपनी नीति, शिक्षा, तकनीकी और कौशल को बदलने की। हमारे शिक्षण एवं प्रशिक्षण कौशल को तकनीकी स्तर पर लाना है, जो विश्व स्तर पर हमें ले जा सके। एमएसआरडी के तहत केन्द्र सरकार इसके लिए निरंतर प्रयास कर रही है। हमें छोटी नहीं अपितु बड़ी समस्याओं पर ध्यान देना होगा। साथ ही कौशल के क्षेत्र में भी विशेष काम करने की जरूरत है। हमें भविष्य में आने वाली समस्याओं एवं मांग के अनुसार, रणनीति तैयार करनी है।


यह चुनौतियों को स्वीकारने का समयः एन. प्रधान


क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान के प्राचार्य प्रो. एन. प्रधान आज भारत बदल रहा है। आज युवाओं की संख्या जितनी है उतनी ही व्यावसायिक शिक्षा सफल है। यह समय चुनौतियों को स्वीकार करने का है। पीएसएससीआईवी ने यह चुनौती स्वीकार की और अपने स्तर पर देशभर में व्यावसायिक शिक्षा को स्कूलों में युवाओं तक पहुंचाने की जिम्मेदारी ली, जिससे हमारे युवाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सके। वहीं, विशेष अतिथि अरुण कुमार पिल्लई ने अपने संबोधन में कहा कि आज व्यावसायिक प्रणाली के लिए एनएसक्यूएफ/एनओएस पर आधारित व्यवस्था के लिए व्यावसायिक कौशल और अकादमिक शिक्षा एवं क्रेडिट सिस्टम के मध्य मार्गदर्शन की जरूरत है।


कंपनियों को अपने कौशल में नवाचार की जरूरतः डॉ. स्वाति


‘‘भारत में टीवीईटी का उत्कृष्ट प्रदर्शन’’ विषय से तकनीकी सत्र के दूसरे चरण की शुरुआत हुई। इसकी अध्यक्षता त्रिभुवन विवि नेपाल के प्रो. डॉ. प्रमोद बी. श्रेष्ठ ने की। इस दौरान डॉ. सिम्बायोसिस सेंटर फाॅर डिस्टेंस लर्निंग सिम्बायोसिस यूनिवर्सिटी ऑफ अप्लाइड साइंसेस, इंदौर की निदेशक डॉ. स्वाति मजूमदार ने ‘4.0’ के उद्योगिक सुझाव पर प्रकाश डाला। वर्तमान में रोजगार के अवसरों की कमी के कारणों को बताते हुए उन्होंने कहा कि आज नए कौशल में परिवर्तन करके उद्योग एवं कंपनियां 4.0 के औद्योगिक स्तर को प्राप्त कर सकती है। कंपनियों को अपने कौशल में नवाचार करने की जरूरत है। शिक्षकों एवं छात्रों की शैक्षणिक गुणवत्ता के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।


प्रदर्शनी व  स्टॉल  लगाए


यूनेस्को-यूनिवॉक और सीपीएससी के सहयोग से आयोजित इस संगोष्ठी में व्यावसायिक शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर रहे देश-विदेश के विशेषज्ञों सहित लगभग 500 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर कई जॉब रोल्स पर बने पाठयक्रम का विमोचन भी किया गया। संगोष्ठी के अवसर पर पीएसएससीआईवीई परिसर में एक दर्जन से अधिक विभिन्न शासकीय एवं गैर शासकीय विभागों की प्रदर्शनी एवं स्टॉल भी लगाए गए।



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