शिव आदि देव महादेव है शिव और शक्ति एक ही रूप में पूरे ब्रह्मण्ड को अपने हाथों में उठाए हुए प्रकृति को चारो तरफ समेटे हुए शिव है सारे जीव प्राणी सब इनके अंश है प्रलय के कारक जितने शांत है उतने ही रौद्र अवतार है जब मनुष्य गलती करते है तब यह अपना रौद्र रूप से प्रहार करते है मनुष्य के कर्मो की गलती की सजा यह स्वयं देते है इसलिये महादेव ही महाकाल है मनुष्य के कर्म चाहे वह अच्छे हो या बुरे सब ईश्वर तक जाते है अलग अलग धर्म हो ईश्वर तो वही परम पिता परमेश्वर है जो अपना प्रकाश चारो दिशाओ में फैलाया है अंधकार से प्रकाश की ओर कर्म ही जो ईश्वर से जोड़ते है यही कर्म जो ईश्वर से दूर करते है चाहे मनुष्य धर्म के मार्ग पर चले चाहे अधर्म के मार्ग पर सभी के कर्मो का एक एक हिसाब ईश्वर के पास होता है चाहे वह नास्तिक हो या आस्तिक ।
शिव आदि देव महादेव है शिव और शक्ति एक ही रूप में पूरे ब्रह्मण्ड को
• Patrakar Sudhir Mishra