शाहीन बाग में 70 दिन से बंद सड़क खोली गई, रोड नंबर-9 के सामने से बैरिकेडिंग हटाई गई

शाहीन बाग में नागरिकता संशोधित कानून के खिलाफ हो रहे धरने की वजह से लगभग 70 दिन से बंद पड़ा रोड नंबर 9 शनिवार को खोल दिया गया। दिल्ली साउथ ईस्ट डीसीपी ने कहा कि प्रदर्शनकारियों ने रोड नंबर को खोल दिया था लेकिन कुछ बाद दूसरे ग्रुप ने फिर से उस रास्ते को बंद कर दिया था। इसके बाद फिर से प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने रास्ता फिर से खोल दिया है। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि इस पर सभी प्रदर्शनकारियों ने इस सहमति जताई है या नहीं।


डीसीपी साउथ ईस्ट: आज से थोड़ा पहले, रोड नं। 9 को प्रदर्शनकारियों के एक समूह द्वारा फिर से खोल दिया गया था, लेकिन बाद में इसे दूसरे समूह द्वारा बंद कर दिया गया था। फिर से, प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने एक छोटे से खिंचाव को फिर से खोल दिया है, हालांकि, अभी भी कोई स्पष्टता नहीं है अगर सभी प्रदर्शनकारियों ने इस पर सहमति दी है।


बता दें कि सुप्रीम कोर्ट  की ओर से शाहीन बाग के प्रदर्शन पर बातचीत के लिए नियुक्त किए गए वातार्कारों और प्रदर्शनकारियों के बीच शनिवार को चौथे दिन भी सहमति नहीं बन पाई। वरिष्ठ वकील साधना रामचंद्रन आज अकेले यहां आईं और बातचीत शुरू की लेकिन प्रदर्शनकारियों ने फिर से नागरिकता संशोधन कानून वापस लेने तक प्रदर्शन स्थल पर बने रहने की बात दोहराई। शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त मध्यस्थता पैनल में शामिल रामचंद्रन ने कहा है कि वह यहां शाहीन बाग के धरने प्रदर्शन को खत्म कराने के लिए नहीं आए हैं। वह सिर्फ यहां रास्ता खुलवाने के लिए आए हैं।


बातचीत के दौरान प्रदर्शनकारियों ने एक तरफ की सड़क खोलने के लिए कुछ शर्ते रखी हैं। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि उन्हें 24 घंटे सुरक्षा मुहैया कराई जाए और उच्चतम न्यायायलय इस संबंध में आदेश जारी करे। दिल्ली पुलिस आयुक्त को उनकी सुरक्षा को लेकर लिखित आश्वासन दिया जाए। प्रदर्शन में शामिल शाहीन कौसर ने यूनीवातार् को बताया कि पिछले चार दिन से वातार्कार सड़क खुलवाने को लेकर उन लोगों से बातचीत कर रहे हैं लेकिन अभी तक समाधान नहीं निकल पाया है। 


उन्होंने कहा कि यहां बैठी ज्यादातर महिलाओं ने एक तरफ की सड़क खोलने को लेकर श्रीमती रामचंद्रन के समक्ष अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने का मुद्दा उठाया और इस संबंध में लिखित आश्वासन की मांग की है। कौसर के अनुसार रामचंद्रन ने उन लोगों की बातों को सुनने के बाद कहा कि उनकी मांगों को अदालत के समक्ष प्रस्तुत कर दिया जाएगा। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि शाहीन बाग और जामिया के छात्रों और स्थानीय लोगों के खिलाफ दर्ज मामले को वापस लिए जाए। उन्होंने कहा कि पिछले दो महीनों में हुई हर घटना की जांच होनी चाहिए। इसके साथ ही प्रदर्शन स्थल की सुरक्षा के लिए स्टील शीट का


उपयोग किया जाए।