पंचायत और नगरीय निकाय को मिलेंगे 2600 करोड़ कम

भोपाल। राज्य सरकार ने आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए फरवरी और मार्च महीने में आठ विभागों के बजट में जो कटौती की है, उससे विभागों द्वारा खर्च किए जाने वाले बजट पर बहुत ज्यादा लगाम लगा दी है। वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए जो सालाना बजट तय किया था, उसमें भी त्रैमासिक आवंटन विभागों को किया जाता था। सबसे ज्यादा राशि मासिक तौर पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास के बजट में 1366 करोड़ तथा नगरीय निकाय के बजट में 1232 करोड़ की कटौती कर दी गई है, जबकि इसके विपरीत सबसे कम बजट एनवीडीए का 131 करोड़ रुपए माह काटा गया है और चिकित्सा शिक्षा के बजट में 183 करोड़ की कटौती कर इन विभागों के खर्च पर पूरी तरह अंकुश लगा दिया है। वित्त विभाग ने 11 फरवरी को एक आदेश जारी कर केंद्रीय करों में मप्र को कम मिले 14233 करोड़ की आड़ लेकर जो कटौती दो महीने फरवरी और मार्च के लिए की है, उससे चार-पांच विभागों के खर्च में पूरी तरह पाबंदी से लगा दी है। इससे सरकार की वित्तीय स्थिति कितनी खराब है, इसका खुलासा होता है। इस आदेश से सालाना बजट में से कटौती तो 20 प्रतिशत करने की बात कही गई है, मगर बजट आवंटन के आंकडे और फरवरी तथा मार्च की कटौती से पंचायत एवं ग्रामीण विकास, नगरीय प्रशासन, जल संसाधन, पीएचई तथा आदिम जाति कल्याण जैसे विभागों की अधिकांश योजनाओं में ऊंट के मुंह में जीरा बराबर पैसा मिलेगा। वित्त विभाग ने केंद्रीय सहायता, केंद्र क्षेत्रीय योजना एवं केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लिए 100 करोड़ एवं शेष राज्य की योजनाओं में 25 करोड़ से अधिक की राशि खर्च करने के लिए वित्त विभाग से पूर्व अनुमति लेने का प्रावधान किया है। यह शर्त केवल फॉरेस्ट विभाग की डब्ल्यूडीडीएफ तथा एफडीडीएफ देयकों पर लागू नहीं होगी।