<no title>9 साल बाद शुगर मिल रिफॉर्म मंत्रियों का स्वेच्छानुदान दोगुना

कमलनाथ सरकार पिछले नौ साल से बंद पड़े मुरैना मंडल सहकारी शकर कारखाना कैलारस को फिर शुरू करने जा रही है। इस कारखाने को तीस वर्षों तक संचालन के लिए एक बार में एकमुश्त प्रीमियम लेकर निजी कंपनी, फर्म, संस्था या व्यक्तियों को इसके संचालन की जिम्मेदारी देगी।


सहकारिता विभाग ने इस कारखाने के संचालन के लिए ईओआई जारी कर दी है। मुरैना जिले के कैलारस मेें स्थित 1250 टन प्रतिदिन उत्पादन क्षमता वाला यह सहकारिता के क्षेत्र में शुरू हुआ प्रदेश का पहला शकर कारखाना है।  मुरैना-सबलगढ़ रोड पर मुरैना से 43 और कैलारस नगर से दो किलोमीटर पहले यह कारखाना स्थित है।  यह कारखाना वर्ष 2010-11 से बंद है तथा वर्तमान में परिसमापन में है। इस कारखाने में सुधार करके अथवा इसके स्थान पर नया कारखाना चलाने के लिए निजी संस्थाओं से प्रस्ताव बुलाया गया है। बारह मार्च तक इसके लिए प्रस्ताव स्वीकार किए जाएंगे।


पूर्व दायित्वों से मुक्ति: संचालन के पूर्व के सभी दायित्वों से नए संचालनकर्ता को मुक्त रखा जाएगा। कारखाना तीस साल की अवधि के लिए दिया जाएगा।  कारखाने की मशीनें, उपकरण और जमीन जैसी हालत में मौजूद है संचालनकर्ता को सौपी जाएगी।  इसमें किसी प्रकार के संशोधन, सुधार, मरम्मत या निर्माण पर कोई राशि खर्च होगी तो वह संचालनकर्ता वहन करेगा।  सभी वैधानिक अनुमतियां संचालनकर्ता को दी जाएंगी। इनके हस्तांतरण का शुल्क और अन्य खर्च संचालनकर्ता को वहन करना होगा।


कारखाने के पूर्व कर्मचारी होंगे बाहर
अनुबंध में यह प्रावधान किया गया है कि कारखाने के मौजूदा कर्मचारियों और श्रमिकों को सेवा में बनाए रखने अथवा हटाने के लिए अनुबंधकर्ता स्वतंत्र होगा।


लिमिट बढ़ी, अब एक बार में चालीस हजार तक की मदद किसी को भी कर सकेंगे मंत्री
ब्यूरो, भोपाल। प्रदेश के मंत्रियों का स्वेच्छानुदान खर्च करने का पावर सरकार ने बढ़ा दिया है। अब वे पहले की बजाय दोगुनी राशि किसी एक मामले में खर्च कर सकेंगे। यह लिमिट अब बढ़ाकर चालीस हजार कर दी गई है। सामान्य प्रशासन विभाग ने इसके लिए नियमों में संशोधन कर दिया है। अभी तक किसी भी मंत्री को अपनी स्वेच्छानुदान निधि में से एक साल में किसी भी एक मामले में बीस हजार रुपए से अधिक राशि देने का प्रावधान था।  किसी एक मामले में मंत्रियों को मिलकर भी बीस हजार से अधिक स्वेच्छानुदान खर्च करने की पात्रता नहीं थी। अब यह राशि बढ़ाकर चालीस हजार रुपए कर दी गई है।  अब एक साल में किसी भी एक मामले में अधिक से अधिक मंत्रियों द्वारा चालीस हजार रुपए तक स्वेच्छानुदान दिया जा सकेगा। यह प्रावधान इसी माह से लागू माने जाएंगे। चौदह फरवरी के पहले के स्वेच्छानुदान के मामलों में बीस खर्च सीमा बीस हजार रुपए तक ही यथावत रहेगी।


पांच साल के लिए बढ़ सकेगा अनुबंध