भोपाल | राज्य सरकार से लगातार तनातनी के बाद डीजीपी वीके सिंह का हटना तय हो गया है। डीजी साइबर और हनी ट्रैप मामले की जांच कर रही एसआईटी के प्रमुख राजेन्द्र कुमार नए डीजी बनेंगे। सरकार ने इस पद के लिए संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा भेजे तीन नामों के पैनल को अस्वीकार कर दिया है। सोमवार को हाईकोर्ट में राज्य सरकार को इस मुद्दे पर जवाब देना है और उम्मीद है कि इसी दिन सरकार नया एसआईटी प्रमुख बनाए जाने की अनुमति हाईकोर्ट से लेगी। इसके बाद किसी भी दिन नए डीजीपी के नाम की घोषणा हो सकती है। सिंह की पदस्थापना कहां होगी, यह तय होना बाकी है। वे एक साल की कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हटाए जाने वाले दूसरे डीजीपी होंगे। इससे पहले ऋषिकुमार शुक्ला को हटाया गया था। शुक्ला बाद में सीबीआई डायरेक्टर बने। सरकार और सिंह के बीच चार महीने से तनातनी चल रही थी और मुख्यमंत्री डीजीपी की कार्यशैली से काफी नाराज थे। हाल ही में राजगढ़ कलेक्टर को लेकर पुलिस की जांच रिपोर्ट के बाद यह तनातनी और बढ़ गई थी।
यूपीएससी के भेजे तीनों नाम अस्वीकार, अब पसंद के अफसर को डीजीपी बनाएगी सरकार
यूपीएससी ने जो पैनल राज्य सरकार को भेजा था उसमें तीन नाम थे। विवेक जौहरी पर सहमति नहीं थी। मैथलीशरण गुप्ता को सरकार डीजीपी नहीं बनाना चाहती थी। वीके सिंह से सरकार की पटरी नहीं बैठ रही थी। यही वजह थी कि 15 नवंबर को अंतिम आदेश में वीके सिंह का नाम डीजीपी पद के लिए अप्रूव नहीं किया गया था। अब जब सरकार ने पैनल अस्वीकार कर दिया है तो सरकार के पास पसंदीदा वरिष्ठ आईपीएस को डीजीपी नियुक्त करने का विकल्प रहेगा। जब आरके शुक्ला को हटाकर वीके सिंह को डीजीपी बनाया गया था, तब भी सरकार के पास यूपीएससी का पैनल नहीं था। ऐसे में डीजीपी को हटाने के लिए राज्य सरकार उड़ीसा फॉर्मूले पर विचार कर सकती है। उड़ीसा में फायर का अतिरिक्त जिम्मा संभाल रहे डीजीपी को सरकार ने नोटिस देकर हटाया था।