भोपाल। बैंकों के मुकाबले बेहतर ब्याज दर और तत्काल फाइनेंस की सुविधा के चक्कर में अपनी जमा पूंजी क्रेडिट सोसायटियों में जमा करने के बाद मूल राशि ही नहीं मिलने से परेशान प्रदेशभर के कर्मचारियों से लेकर छोटे-छोटे दुकानदार और छोटी जमा करनेवालों के लिए खुशखबर है। प्रदेश सरकार ने हाउसिंग सोसायटियों के बाद अब क्रेडिट सोसायटियों पर शिकंजा कसने की शुरुआत कर दी है, जिसके लिए सहकारिता के साथ ही प्रदेशभर के जिला कलेक्टरों को क्रेडिट सोसायटियों की जनसुनवाई करने का फरमान जारी हो गया है। सूत्रों की माने तो अर्बन क्रेडिट सोसायटियों में जमा राशि डूबने, कम राशि वापस मिलने या सोसायटियों के गायब होे जाने के मद्देनजर सामान्य प्रशासन विभाग ने 12 फरवरी 2020 को सारे जिला कलेक्टरों को जनसुनवाई करने के निर्देश दिए है। इसमें कहा गया है कि जिस तरह से गृह निर्माण समितियों की शिकायतों का निराकरण जन सुनवाई से किया जा रहा है, वैसे ही साख सहकारी समितियों से जुड़ी शिकायतों और घोटालों की भी जनसुनवाई की जाए।
अरबों रुपए डूबत खाते में..
सूत्रों का दावा है कि प्रदेशभर में के्रडिट सोसायटियों, माइक्रो फायनेंसिंग कंपनियों के अलावा सहारा सेविंग्स स्कीम आदि में करीब साढेÞ चार से पांच अरब रुपए फंसे हुए हैं या डूब गए हैं। दूसरी ओर जमाकर्ता अपना पैसा वापस नहीं मिलने पर पुलिस से लेकर जिला कलेक्टोरेट के चक्कर काट रहे हैं।
आरबीआई ने बनाई है टीम
ज्ञात हो कि क्रेडिट सोसायटियों के माध्यम से जमा राशि के गोलमाल की बढ़ती शिकायतों के बाद 2015 में हाईपावर कमेटी बनाई थी, जिसमें प्रदेश के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, प्रमुख सचिव वित आदि के साथ ही रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया के प्रतिनिधि आदि शामिल हैं। इसकी उपसमिति भी एसीएस होम की अगुवाई में बनाई गई है। इसकी हर तीन माह में समीक्षा
बैठक होती है, जिसके बाद संबंधित अधिकारियों और विभागों को निर्देश दिए जाते हैं।