हर युग मे ईश्वर अवतार लेते है तब तक धर्म रहता है उनके जाने के बाद फिर अधर्म जन्म लेता है महापुरुष आते ज्ञान की गंगा संसार मे फैलाते चले जाते फिर अधर्म अपने रास्ते लौटता है
आना जाना लगा रहता है ज्ञान जीवन मे नही उतरता धर्म से विचलित होता है तब अधर्म फैलता है यदि एक ही धारा में मनुष्य चलता है तो धर्म के सभी मार्ग खुल जाते है धर्म म ईश्वर है अधर्म ईश्वर का अपमान संसार के मनुष्य जब ज्ञान को आत्मसात नही करेगे तब अधर्म के पथ पर चलेंगे विचार सबके अलग होते है कोई ज्ञान के पथ पर चलता है धर्म कहलाता है कोई ज्ञान सुनकर अनदेखा करता है तब अधर्म कहलाता है हर युग मे इसी तरह चलता रहता है ईश्वर आते महापुरुष आएगे ज्ञान का मार्ग दिखाएगें फिर संसार से चले जाएंगे।
हर युग मे ईश्वर अवतार लेते है तब तक धर्म रहता है