ईश्वर की आराधना करने के लिये मन आत्मा शुद्ध होनी चाहिए जब तक मन ईश्वर से नही जुड़ता है तब तक ईश्वर की कृपा नही मिलती है ईश्वर के प्रति विश्वास समर्पण का भाव देने की भावना कर्म का मार्ग किस दिशा में जाता है सत्य धर्म भक्ति सेवा नि सवार्थ भाव वही काम करे जो ईश्वर को पसन्द है वो नही जिनसे भगवान दूर भागते है धर्म कर्म एक ही शब्द है धर्म अच्छाई मार्ग पर चलना अधर्म बुरे मार्ग की ओर ले जाता है कर्म जो भी अच्छे कर्म करते है वही ईश्वर के निमित जाता है चाहे वह मानवता की सेवा भक्ति ज्ञान प्रकृति की रक्षा करना प्राणि जीवो को बचाना प्रक्रति से जुड़े कोई भी कर्म हो वह भी ईश्वर का काम होता है यह भी अच्छा कर्म है उसके लिए मन आत्मा में पवित्रता कोई भी काम अच्छा करे उसे अपने लिये नही ईश्वर को समर्पित करना नही तो वह कर्म सवार्थ कहलाता है ।
ईश्वर की आराधना करने के लिये मन आत्मा शुद्ध होनी चाहिए
• Patrakar Sudhir Mishra